Friday, 28 June 2013

धर्म के नाम पे पशुहत्त्या कोण करते है ?...

  मित्रो ब्राम्हणो के द्वारा हमेशा ही प्रचार किया गया है कि जीव हत्या पाप है। जीवो पर दया करनी चाहिए...इनकावध नही करना चाहिए तथा जीव हत्या के विषय पर मुसलमानो का हमेशा ही विरोध करते हैँ। परंतु मामला जीव हत्या का नहीं है... बल्कि मामला पिछड़ी जातियों को मुसलमानों से लड़ाने का है, ब्राह्मण जात जानवरों के वध के मुद्दे पर पिछड़ी जातियों को मुसलमानों से लड़ाना चाहते है... जानवरो की बली को तो खुद ब्राह्मणों ने शुभ कार्य के रूप में अपने धर्म की किताबो में डालकर रखा हुआ है। जिसे ब्राह्मण हजारो सालो से शुभ मानते थे तथा देवी देवताओ के सामने बली देते आ रहे है। फिर आज अचानक जीव हत्या पाप कैसे हो गया...
ये ब्राम्हणो कि धूर्तता का अतिउत्तम उदाहरण है। स्वँय जानवरो का वध करते है तो वो देवी-देवताओ को प्रसन्न करने का साधन बन जाता है यदि कोई दुसरा करता है तो वो निर्दयी, क्रुर, हिंसक प्रवत्ति का मनुष्य बन जाता है।  उन्होने हजारो सालो सें यग्य मे करोडो गाय ,भैस , बैल कि बळी चढाई । ओर आज भी धर्म के नाम पे पाखंडी ब्राह्मण गो मांस खाते है ।  वेदो मे मधुपर्क नाम का शब्द आता है जिसका अर्थ होता है गाय के मांस का गुलाबजामून … जिसे ब्राह्मण यग्य के समय घी मे ताल के खाते थे ।
वाह रे...पाखंडीयो तेरि और तेरे भगवान कि लीला अपरमपार है। जिसे समझना मुश्किल हि नही नामुमकिन है।

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