Monday, 17 December 2012

अजब दुनिया कि गजब कहानी ...



दुनिया कितनी अजीब है.लोगोंको ये मत  करो बोलो, ओ वही  पहिले करेंगे ..सच बोलो वह झुठ मानेंगे ,झुठ बोलो सच मानेंगे  .
बुद्ध हमेशा कहते थे कि मेरी पूजा मत करो ,मूर्ती मत बनावो लोगोंने मुर्तीया हि  मुर्तीया बनाई ,फिर पहाड हो या पत्थर.  
बुद्ध हो या कोई भगवान! मुर्तीया इन्सान ने हि बनाई ओर ओ खुद उसके पैर छूता है! हैं  न अजब !
लोग मंदिरो में  जाते है !भगवान कि तरफ हात जोडते है ओर पिछे  मुडकर बार बार  देखते है! कि उनकी चप्पल ,जुता कोई चुरकार लेके न जाय 
! अब ये नमस्कार भगवान को पोहचता है चप्पल ,जुतो को .! मेरे खयाल से जुतो को ! क्युकी जहा नजर वाह नमस्कार !  है  न अजीब दुनिया ! 
दुनिया में  घुमते समय लोग खुद को  कुछ अलग दिखाना चाहते है ,जो वह होते नही ! इसलिये तो कहा गया है  कि लोगोंके अस्लियत का पता बाथरूम में चालता है !
 अरे लोगोंको बोलो तुम्हारे गुरु कोंन ,बोलेंगे बुद्ध ! पुछो उन्होने क्या बताया ! फिर लोग बोलेंगे " बुद्ध ने कहा कोई किसीका गुरु नही होता -अतः दीप भव(खुद प्रकशित बनो )   !

हैं  न अजब दुनिया 
 जितना उनको सुधार ते जाव उताणा बिघडे गे !

इसीलिये तो कबीरजी कहेते थे 
"यक आजूबा देखा मैने ,मुर्दा  रोटी खाय ! समझाने से समझत नाय लात पडे  सो चील्लाय !"
जब इस मुर्दा दुनिया पे पडेगी तब समझ में  आयेगा ! 

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