लिंगानुपात (स्त्री ब्र्हून हत्त्या ) ओर बलात्कार कि जड :
नितीन सावंत
परभणी —
हाली में मेडिया में जो लिंगानुपात (स्त्री ब्र्हून हत्त्या ) ओर बलात्कार का धिंडोरा पिटा जा राहा है ,उसमे यक बात जानबुझकर छुपाई जा राही है .
बात यह है की, क्या है जड़ इस समस्या की ,क्यू निर्माण हुई यह समस्या .मीडिया हमेशा समस्या पर चर्चा करता है ,लेकिन असलियत और समस्या के कारन छुपता है .
क्या यह समस्या अमरीका ,जापान, चीन इन देशो में है .
नहीं यह समस्या विश्व में कही भी नहीं है ,सिर्फ भारत में और उसमे भी केवल हिंदुओ में .
क्यू ?
इस देश में ब्राम्हणों ने धर्मग्रन्थ लिखे और उसमे स्त्रियों को निचा दिखाया .यही जड़ है इस समस्या की तुलसीदास रामायण में कहेते है "ढोल गावर शुद्र पशु नारी ,यह सब है तडन के अधिकारी "
ढोल गावर शुद्र पशु सब पीटने के लायक होते है,उसमे तुलसीदास स्त्री भी का समावेश करते है ,मेरा 1 सवाल है की सीता ही पेटी में क्यू मिली ,राम क्यू नहीं मिला ,क्यू की लिखनेवाले ब्राम्हणों ने स्त्रियोको निचा दिखने का बेडा जो उठाया था .इसलिए सीता पेटी में मिली .
मनुस्मृति कहती है की " न स्त्री स्वातंत्र्य मर्हति "
यानि स्त्रियों को स्वातंत्र्य नहीं देना चाहिये .
इसकी परिणिति यह हुई की बच्ची पैदा होते ही उसको लोग दूध में डुबोने लगे .मार र्देने लगे .
बेटी पैदा होना पाप माना जाने लगा . और अब लडकिय कम होने के कारन बलात्कार भी शुरू हुए . और जिनकी संकृति के रचेता ही बलात्कारी हो उस संस्कृति में तो बलात्कार होंगे ही .जी मै ब्रह्मा के बारे में बोल रहा हु। दुनिया का सबसे पहेला बलात्कारी ब्रह्मा के शिवाय कोई हो सकता है क्या ?
जिसने खुद कि बेटी सरस्वती पे बलात्कार किया . ब्रह्मणो कि संस्कृती
हि ऐसी है
.
इसलिये लिंगानुपात (स्त्री ब्र्हून हत्त्या ) ओर बलात्कार कि जड
ब्राह्मणी धर्मग्रंथ हि है .उसका क्या करना है ओ अप शोचो
नितीन सावंत
परभणी —